कोरबा

गांवों में बने सार्वजनिक शौचालयों में उपयोग के बजाय लटकते हैं ताले

गांवों में बने सार्वजनिक शौचालयों में उपयोग के बजाय लटकते हैं ताले

कोरांव प्रयागराज। सरकारी योजनाओं के तहत तमाम योजनाएं ऐसी हैं जो धरातल पर लाई तो जा रही किन्तु उसका उपयोग कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा। बात करें सभी ग्रामसभाओं में सार्वजनिक शौचालयों की तो लाखों रुपए खर्च करके बन तो गये किंतु जबसे वह बने हैं तबसे उसमें लोगों के उपयोग के बजाय ताले ही लटकते देखे जा रहे हैं। सरकार द्वारा ग्रामसभाओं में योजनाओं के पैसों का जनता को कम फायदा मिल रहा जबकि ज्यादातर फायदे तो ग्रामप्रधान एवं संबंधित अधिकारी ही पा रहे हैं। विकासखण्ड के तमाम गांवों में बने सार्वजनिक शौचालयों के लगे ताले सरकार के स्वच्छता अभियान को पलीता लगाने के बजाय कुछ भी नहीं दिख रहे। उक्त शौचालयों को सरकार द्वारा बनाए जाने का तात्पर्य अति गरीब मुसहर एवं आदिवासी समाज के लोगों को शौच हेतु सुविधा देने का था जो महज एक औपचारिकता मात्र रह गया है। अधिकतर शौचालयों के तालों की चाभी ग्रामप्रधानों के पास ही हुआ करती है। इसी तरह बहुत सी सरकारी योजनाएं हैं जो जनता के सदुपयोग के बजाय प्रधानों एवं मातहत अधिकारियों के कमाने का सिर्फ जरिया बने हुए हैं।