एनएचआरएम, व्यापंम से बड़ा है एनपीएस का घोटाला बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा परिषद के चार लाख शिक्षकों, कर्मचारियों का मामला मामले को लेकर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसर गंभीर नहीं लाखों शिक्षकों, कर्मचारियों को न्याय मिलने तक जारी रहेगा संघर्ष : डा हरिप्रकाश यादव

प्रयागराज। यूपी के स्वास्थ्य विभाग में हुए एनएचआरएम घोटाले और मध्य प्रदेश में हुए व्यापंम घोटाले से कई हजार गुना बड़ा नया घोटाला यूपी के बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के करीब चार लाख शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ होने की संभावना है क्योंकि कि लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में शिक्षा विभाग के अफसरों और बाबुओं ने खेल कर दिया है। एनपीएस का जो पैसा यूटीआई, एसबीआई और एलआईसी में लगना था उसको कमीशनखोरी के फेर में प्राइवेट कंपनियों में लगा दिया गया है जबकि उनका शेयर धड़ाम हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अफसरों और बाबुओं ने प्राइवेट कंपनियों में एनपीएस के पैसे का निवेश करते समय शिक्षकों और कर्मचारियों से पूछा तक नहीं है। प्राइवेट कंपनियों का शेयर अब धड़ाम होने लगा है इससे लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस का पैसा डूबने लगा है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के संरक्षक और वरिष्ठ शिक्षक नेता डा हरिप्रकाश यादव का कहना है कि लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस के साथ अफसरों और बाबुओं ने खेल कर दिया है। सरकार को चाहिए कि मामले को गंभीरता से लेते हुए शीध्र उच्च स्तरीय जांच करवाएं जिससे कि मामले की सच्चाई सामने आये और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों को न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा में करीब तीन लाख शिक्षक और कर्मचारी हैं। इसी प्रकार से माध्यमिक शिक्षा में एक लाख से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी हैं। नयी स्कीम के तहत वर्ष 2005 से लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस अर्थात पेंशन स्कीम के तहत कटौती होती है। सरकार ने इस कटौती की राशि को यूटीआई, एसबीआई और एलआईसी में निवेश का निर्देश दिया था लेकिन शिक्षा विभाग के अफसरों और बाबुओं की मिलीभगत से एनपीएस के कटौती की राशि को प्राइवेट कंपनियों में निवेश कर दिया है। जब प्राइवेट कंपनियों के शेयर धड़ाम होने लगे और शिक्षकों के एनपीएस से हो रही कटौती का मैसेज शिक्षक और कर्मचारियों के मोबाइल पर आने लगा तो वह सन्न हो गये और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग सरकार और वरिष्ठ अफसरों से किया है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि शासन अगर मामले को गंभीरता से लेकर जांच करवाता है तो बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के चार लाख से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों को एनपीएस से अरबों रुपए की चपत लग चुकी है। प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, शामली, कासगंज सहित तीन दर्जन जिलों में अभी तक व्यापक स्तर पर गड़बड़ी पकड़ी गयी है।
कासगंज के डीआईओएस प्रवीन कुमार मौर्य ने हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस कटौती को दबाने के लिए विधालयों के प्रबंधको और प्रधानाचार्यो पर दबाव डालकर शिक्षकों से लिखवाना शुरू कर दिया है कि सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की सहमति से प्राइवेट कंपनियों में एनपीएस का पैसा लगा है। एकजुट के प्रदेश संरक्षक डॉ हरिप्रकाश यादव ने मामले की शिकायत महानिदेशक स्कूल शिक्षा (डीजी) विजय किरन आनंद से प्रयागरगज में आज किया तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआईओएस कासगंज के खिलाफ शीघ्र सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इनसेट –
दर्जनभर विभागों की अभी तक जांच शुरू नहीं
प्रयागराज। एनपीएस मामले में व्यापक स्तर पर बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा में हुई गड़बड़ियों का मामला सामने आने लगा है। अभी तक प्रदेश के राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, प्राधिकरण, सिंचाई विभाग, जल निगम, जल संस्थान, बाढ़ नियंत्रण,
एनएचआई, उप्र परिवहन निगम, खाद्य आपूर्ति, संभागीय खाद्य नियंत्रक , उप्र लोकसेवा आयोग सहित अन्य विभागों के लाखों कर्मचारियों के एनपीएस मामले की जांच शुरू नहीं हुई है कि कहीं इनके एनपीएस कटौती में खेल करके प्राइवेट कंपनियों में पैसा तो नहीं लगा दिया गया है।