जन्मकुंडली,कुंडली मिलान,राशि-रत्न,वास्तुदोष
गुरु के दृष्टिपात मात्र से, स्पर्ष से तथा बातचीत से भी जीव को पाश्बंधन को नष्ट करने वाली बुद्धि एवं ईश्वर के चरणों में अनन्य प्रेम की प्राप्ति होती है।

*🌻🌻🪔🪔जय माता दी प्रयागराज धार्मिक सभ्य समाज शिव रहस्य ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः जय मां विंध्यवासिनी एवं आवाम न्यूज़ एक्सप्रेस ग्रुप की प्रस्तुति 🪔🪔🌻🌻*
🌄श्री सनातन हिंदू पंचांग-25.08.2023🌄
🌞आज का पंचांग एवं राशिफल🌞
*शुभ शुक्रवार*🪴🌻🪴🌹
*शुभ प्रभात्*🪴🌺🪴🌸
74-30✴️मध्यमान✴️75-30
(केतकी चित्रापक्षीय गणितानुसारेण निर्मितम्)
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जन्मकुंडली,कुंडली मिलान,राशि-रत्न,वास्तुदोष
प्रामाणिक जानकारी प्रभावी समाधान
✡️वाट्स एप्प-9450-307673✡️
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___आज विशेष___
गुरु शिष्य संबंधों की आवश्यक व्याख्या एवं
गुरु दीक्षा का आध्यात्मिक महत्व
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__दैनिक पंचांग विवरण_____
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आज दिनांक………………….25.08.2023
कलियुग संवत्…………………………5125
विक्रम संवत्………………………….. 2080
शक संवत्……………………………..1945
संवत्सर……………………………. श्री पिंगल
अयन…………………………….. दक्षिणायण
गोल…………………………………….. उत्तर
ऋतु……………………………………… शरद्
मास…………………………….द्वितीय श्रावण
पक्ष…………………………………….. शुक्ल
तिथि……… नवमी. रात्रि. 2.03* तक / दशमी
वार.. ……………………………………..शुक्रवार
नक्षत्र……..अनुराधा. प्रातः 9.14 तक / ज्येष्ठा
चंद्र राशि…………….वृश्चिक. संपूर्ण (अहोरात्र)
योग……….वैधृति. सायं. 6.49 तक / विष्कुंभ
करण……………….बालव. अपरा. 2.42 तक
करण……..कौलव. रात्रि. 2.03* तक / तैत्तिल
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नोट-जिस रात्रि समय के ऊपर(*) लगा हुआ हो
वह समय अर्द्ध रात्रि के बाद सूर्योदय तक का है
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
🌞श्री सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार🌞
दिल्ली -10 मिनट———जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट——अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा – 5 मिनट————-मुंबई +7 मिनट
लखनऊ – 25 मिनट——बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट–जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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सूर्योदय…………………. प्रातः 6.10.11 पर
सूर्यास्त…………………. सायं. 6.56.43 पर
दिनमान-घं.मि.सै…………………12.46.31
रात्रिमान-घं.मि.सै……………….. 11.13.52
चंद्रोदय……………………1.58.20 PM पर
चंद्रास्त…………………. 12.33.14 AM पर
राहुकाल. पूर्वा.10.58 से 13.33 तक(अशुभ)
यमघंट…. अपरा. 3.45 से 5.21 तक(अशुभ)
गुलिक……………..प्रातः 7.46 से 9.22 तक
अभिजित…… .मध्या. 12.08 से 12.59 तक
पंचक…………………………………..नहीं है
शुभ हवन मुहूर्त(अग्निवास)…………. .आज है
दिशाशूल…………………………पश्चिम दिशा
दोष परिहार………जौ का सेवन कर यात्रा करें
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🌄विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय🌄
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अभिजित् मुहुर्त – दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
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ब्रह्म मुहूर्त – सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल – सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता ता है…
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गौधूलक काल-सूर्यास्त से 12 मिनट पहले और 12 मिनट बाद का समय गौधूलिक कहलाता है
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🌄✴️भद्रा वास शुभाशुभ विचार✴️🌄
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करें..
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✴️सूर्योदय कालीन ग्रह एवं लग्न स्पष्ट✴️
_ग्रह…….राशि–अंश–कला–नक्षत्र चरणाक्षर_
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लग्न …………………. सिंह 6°58′ मघा 3 मू
सूर्य …………….……..सिंह 7°24′ मघा 3 मू
चन्द्र ……….. वृश्चिक 14°57′ अनुराधा 4 ने
बुध * ….. सिंह 27°36′ उत्तर फाल्गुनी 1 टे
शुक्र *…………. कर्क 20°1′ आश्लेषा 2 डू
मंगल….. कन्या 4°13′ उत्तर फाल्गुनी 3 पा
बृहस्पति *………… .मेष 21°9′ भरणी 3 ले
शनि *………. . कुम्भ 9°55′ शतभिषा 1 गो
राहू *…………….. .मेष 3°36′ अश्विनी 2 चे
केतु *………………. तुला 3°36′ चित्रा 4 री
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चौघड़िया (दिन-रात)**केवल शुभ कारक
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✴️🌄दिन का चौघड़िया🌄✴️
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चंचल………….. प्रातः 6.10 से 7.46 तक
लाभ……………. प्रातः 7.46 से 9.22 तक
अमृत…………. प्रातः 9.22 से 10.58 तक
शुभ…………. अपरा. 12.33 से 2.09 तक
चंचल………….. सायं. 5.21 से 6.57 तक _______
✴️🌄रात्रि का चौघड़िया🌄✴️
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लाभ…………… रात्रि. 9.45 से 11.09 तक
शुभ…. रात्रि. 12.34 AM से 1.58 AM तक
अमृत…. रात्रि. 1.58 AM से 3.22 AM तक
चंचल…..रात्रि. 3.22 AM से 4.46 AM तक
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(विशेष – ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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🌞🕉️शुभ शिववास की तिथियां🕉️🌞
शुक्ल पक्ष-2—–5—–6—- 9——-12—-13.
कृष्ण पक्ष-1—4—-5—-8—11—-12—-30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
जानकारी विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड मूल(रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) नक्षत्रों में होता है तो नक्षत्र शांति की आवश्यकता मानी गयी है,करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर.
09.14 AM तक—अनुराधा—-4—–ने
03.08 PM तक——ज्येष्ठा—-1—-नो 09.01 PM तक——ज्येष्ठा—-2—-या
02.50 AM तक——ज्येष्ठा—-3—-यी
उपरांत रात्रि तक——ज्येष्ठा—-4—–यु
___राशि वृश्चिक – पाया ताम्र_ __________
__आज का दिन__
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__________ . व्रत विशेष……………………………….नहीं है अन्य व्रत……………………………….. नहीं है
दिन विशेष………………………………नहीं है
पर्व विशेष…………………………….. नहीं है
पंचक…………………………………. नहीं है विष्टि(भद्रा)………………………………. . नहीं है
खगोल विशेष ………………………….. .. नहीं है
सर्वा.सि.योग………………. ..प्रातः 9.14 तक
अमृत.सि.योग…………………………..नहीं है
सिद्ध रवियोग……… .प्रातः 9.14 से रात्रि पर्यंत
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_अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी__
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दिनांक……………………….. 26.08.2023
तिथि…….. द्वितीय श्रावण शुक्ला 10 शनिवार
व्रत विशेष……………………………… नहीं है अन्य व्रत………………………………. .नहीं है
दिन विशेष…….. विश्व महिला समानता दिवस
पर्व विशेष……………………………… नहीं है
पंचक……………………………………नहीं है विष्टि(भद्रा)……………………………….. नहीं है
खगोल विशेष ………………………… …. नहीं है
सर्वा.सि.योग………………………….. नहीं है
अमृत.सि.योग………………………… नहीं है
सिद्ध रवियोग…………………संपूर्ण (अहोरात्र)
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___आज विशेष __
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गुरु शिष्य सम्बन्ध की आवश्यक बाते..
गुरु दीक्षा क्या है..? और कौन दीक्षा दे सकता है..?
दीक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द दक्ष से हुई है जिसका अर्थ है कुशल होना। समानार्थी अर्थ है – विस्तार। इसका दूसरा स्रोत दीक्ष शब्द है जिसका अर्थ है समर्पण अतः दीक्षा का सम्पूर्ण अर्थ हुआ – स्वयं का विस्तार।
दीक्षा के द्वारा शिष्य में यह सामर्थ्य उत्पन्न होती है कि गुरु से प्राप्त ऊर्जा के द्वारा शिष्य के अंदर आतंरिक ज्योति प्रज्ज्वलित होती है , जिसके प्रकाश में वह अपने अस्तित्व् के उद्देश्य को देख पाने में सक्षम होता है। दीक्षा से अपूर्णता का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है।
गुरु का ईश्वर से साक्षात सम्बन्ध होता है। ऐसा गुरु जब अपनी आध्यात्मिक/प्राणिक ऊर्जा का कुछ अंश एक समर्पित शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है। यह आध्यात्मिक यात्रा की सबसे प्रारम्भिक सीढ़ी है। गुरु दीक्षा के उपरांत शिष्य गुरु की आध्यात्मिक सत्ता का उत्तराधिकारी बन जाता है। गुरु दीक्षा एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे गुरु और शिष्य के मध्य आत्मा के स्तर पर संबंद्ध बनता है जिससे गुरु और शिष्य दोनों के मध्य ऊर्जा का प्रवाह सहज होने लगता है। गुरु दीक्षा के उपरान्त गुरु और शिष्य दोनों का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। गुरु का उत्तरदायित्व समस्त बाधाओं को दूर करते हुए शिष्य को आध्यात्मिकता की चरम सीमा पर पहुचाना होता है। वहीं शिष्य का उत्तरदायित्व हर परिस्थिति में गुरु के द्वारा बताये गए नियमों का पालन करना होता है।
दीक्षा कब मिलती है?
जब हमारा अंतःकरण (मन) शुद्ध हो जाता है तब दीक्षा मिलती है। शुद्ध का मतलब संछेप में समझिये जब अंतःकरण (मन) एक भोले भाले बच्चे की तरह हो जाता है, वह बच्चा न तो किसी के बारे में बुरा सोचता है न तो किसी के बारे में अच्छा सोचता है, अर्थात संसार से उस बच्चे का मन ना तो राग (प्रेम) करता है और ना तो
द्वेष (दुश्मनी) करता है। जब किसी वक्ति का अंतःकरण भगवान में मन लगाकर, इस अवस्था पर पहुँच जाता है। तब वास्तविक गुरु आपके अंतःकरण को दिव्य बनायेगा।
तब वास्तविक गुरु अथवा संत अथवा महापुरुष आपको गुरु मंत्र या दीक्षा देता है। अब दीक्षा का समय आया है, जब अंतःकरण शुद्ध हो गया। इससे पहले दीक्षा नहीं दी जा सकती। क्योंकि हमारा अंतःकरण उस अलौकिक शक्ति को सम्हाल (सहन)नहीं सकता। अगर कोई गुरु
अथवा महापुरुष बिना अधिकारी बने किसी को जबरदस्ती दीक्षा देदें, तो उस व्यक्ति का शरीर फट के चूर-चूर हो जाये। वह अनाधिकारी व्यक्ति सहन नहीं सकता। हमारा (माया अधीन जिव) का अंतःकरण इतना कमजोर है की उस दीक्षा (अलौकिक शक्ति/ दिव्य आनंद, दिव्य प्रेम आनंद) को सहन नहीं कर सकता। हम लोग संसार के सुख और दुःख को ही नहीं सम्हाल (सहन) कर सकते है। जैसे एक गरीब को करोड़ की लॉटरी खुल जाये, तो वह बेहोश हो जाता है, किसी की प्रेमिका प्रेमी अथवा माता पिता संसार छोड़ देते है, तो उसका दुःख भी वह व्यक्ति नहीं सम्हाल पता है। तो यह जो अलौकिक शक्ति (दिव्य आनंद) है इसे कोई क्या सम्हाल पायेगा। ये दीक्षा अनेक प्रकार से दी जाती है। अगर वह
दीक्षा बोल के दी जाये तो उसे हमलोग गुरु मंत्र कहते है। वास्तविक गुरुओं ने अनेक तरीकों से दीक्षा दिया है, कभी कान में बोल के, आँख से देख के, गले लगा के यहाँ
तक फूक मर कर दिया है। दीक्षा देना है, किसी बहाने देदें, चाहे एक घुसा मार के देदें। दीक्षा देने में यह आवश्यक नहीं है की कान से दिया जाये। गौरांग महाप्रभु ने गले लगा के दीक्षा दिया है।
दीक्षा के प्रकार
स्पर्श दीक्षा , दृग दीक्षा , मानस दीक्षा
शक्ति , शाम्भवी , मांत्रिक दीक्षा
स्पर्श दीक्षा
जैसे पक्षी अपने सुंदर पंखों से धीरे-धीरे शिशुओं की वृद्धि करता है, इस प्रकार की दीक्षा को स्पर्श दीक्षा कहते हैं। अर्थात् शिष्य को छूने मात्र से शिष्य में शक्तिपात करते हैं।
दृग दीक्षा
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योग्य गुरु अपने कृपा पात्र शिष्य की निष्ठा से प्रसन्न होकर अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर संकल्प करके दृग दीक्षा देते है।
उदाहरण के लिये जैसे मछली अपने बच्चों को देखने मात्र से पोषण करती है, इस प्रकार जो गुरु देखने मात्र से शक्तिपात करते हैं, उसे दृग-दीक्षा कहते हैं।
मानस दीक्षा
मानस दीक्षा को संकल्प दीक्षा भी कहते हैं। इसमें देशकाल का व्यवधान नहीं होता। सद्गुरु चाहे जहाँ हों और शिष्य उनसे चाहे कितनी ही दूर हो, सद्गुरु अपने संकल्प मात्र से शिष्य में शक्तिपात कर देते हैं।
इसमें यह भी आवश्यक नहीं है कि शिष्य ने सद्गुरु के दर्शन किए हों या विधिवत् प्रार्थना की हो कि मुझे दीक्षित करें।
शक्ति दीक्षा
गुरु योगमार्ग से शिष्य के शरीर में प्रवेश करके उसके अंत:करण में ज्ञान उत्पन्न करके जो ज्ञानवती दीक्षा देते हैं, वह शक्ती दीक्षा कहलाती है।
शाम्भवी दीक्षा
गुरु के दृष्टिपात मात्र से, स्पर्ष से तथा बातचीत से भी जीव को पाश्बंधन को नष्ट करने वाली बुद्धि एवं ईश्वर के चरणों में अनन्य प्रेम की प्राप्ति होती है। प्रकृति (सत, रज, तम गुण), बुद्धि, त्रिगुणात्मक अहंकार एवं शब्द, रस, रूप, गंर्ध स्पशज़् (पांच तन्मात्राएं), इन्हें आठ पाश कहा गया है। इन्हीं से शरीरादी संसार उत्पन्न होता है। इन पाशों का समुदाय ही महाचक्र या संसारचक्र है और परमात्मा इन प्रकृति आदि आठ पाशों से परे है। गुरु द्वारा दी गई योग दीक्षा से यह पाश क्षीण होकर नष्ट हो जाता है।
मान्त्री दीक्षा
मान्त्री दीक्षा में पहले यज्ञमंडप और हवनकुंड बनाया जाता है। फिर गुरु बाहर से शिष्य का संस्कार (शुद्धि) करते हैं। शक्तिपात के अनुसार शिष्य को गुरु का अनुग्रह प्राप्त होता है। जिस शिष्य में गुरु की शक्ति का पात नहीं हुआ, उसमें शुद्धि नहीं आती, उसमें न तो विद्या, न मुक्ति और न सिद्धियां ही आती हैं। इसलिए शक्तिपात के द्वारा शिष्य में उत्पन्न होने वाले लक्षणों को देखकर गुरु ज्ञान अथवा क्रिया द्वारा शिष्य की शुद्धि करते हैं। उत्कृष्ट बोध और आनंद की प्राप्ति ही शक्तिपात का लक्षण (प्रतीक) है क्योंकि वह परमशक्ति प्रबोधानन्दरूपिणी ही है।
गुरु दीक्षा कौन दे सकता है
गुरु शब्द का अर्थ है जो अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाये। एक सम्पूर्ण जागृत गुरु, जो की सहस्त्र्सार चक्र में स्थित हो वही दीक्षा देने का अधिकारी होता है। ऐसे गुरु की पहचान उनके व्यवहार से होती है। ऐसे गुरु सबके लिए करुणामय होते है। उनका ज्ञान अभूतपूर्व होता है। जागृत गुरु अहंकार, काम, क्रोध, लोभ और मोह से दूर रहते है। वह शिष्य की किसी भी समस्या और परिस्थिति का समाधान निकालने में सक्षम होते है। ऐसे गुरु का ध्यान अत्यंत उच्च कोटि का होता है।
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अस्वीकरण(Disclaimer)दैनिक पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें…
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✴️🕉️✴️आज का राशिफल✴️🕉️✴️
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मेष-(चू चे चो ला ली लू ले लो अ) आज अपने मनमौजी और ज़िद्दी स्वभाव को क़ाबू में रखें, ख़ास तौर पर किसी जलसे या पार्टी में। क्योंकि ऐसा न करने पर वहाँ का माहौल तनावग्रस्त हो सकता है। लम्बे समय से अटके मुआवज़े और कर्ज़ आदि आख़िरकार आपको मिल जाएंगे। घर में और आस-पास छोटे-मोटे बदलाव घर की सजावट में चार चांद लगा देंगे। आपका होना इस दुनिया को आपके प्रिय के लिए रहने के क़ाबिल बनाता है। एक ऐसा वक़्त जब नौकरियों या व्यापार के नए प्रस्ताव आएंगे, आपके दिन को ख़ुशनुमा बना देगा। आज खाली वक्त्त किसी बेकार के काम में खराब हो सकता है। अगर आप कोशिश करें तो आप अपने जीवनसाथी के साथ अपने जीवन का सबसे अच्छा दिन आज गुज़ार सकते हैं।
वृषभ-(इ उ एओ वा वी वू वे वो)
आज आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हिम्मत न हारें और इच्छित फल पाने के लिए कड़ी मेहनत करें। इन नाकामियों को तरक़्क़ी का आधार बनाएँ। मुश्किल घड़ी में रिश्तेदार भी काम आएंगे। जो लोग शादीशुदा हैं उन्हें आज अपने बच्चों की पढ़ाई पर अच्छा खासा धन खर्च करना पड़ सकता है। किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ से मिली आकस्मिक अच्छी ख़बर आपके पूरे परिवार के लिए ख़ुशी के लम्हे लाएगी। यात्रा के दौरान आप नयी जगहों को जानेंगे और महत्वपूर्ण लोगों से मुलाक़ात होगी। अलग-अलग नज़रिए के चलते आपके और आपके जीवनसाथी के बीच वाद-विवाद हो सकता है।
मिथुन- (क की कू घ ङ छ के को ह)
आज अपना तनाव दूर करने के लिए परिवार वालों की मदद लें। उनकी सहयता को खुले दिल से स्वीकारें। अपनी भावनाओं को दबाएँ और छुपाएँ नहीं। अपने जज़्बात दूसरों के साथ साझा करने से फ़ायदा मिलेगा। अपने जीवनसाथी केे साथ धन से जुड़े किसी मामले को लेकर आज आपका झगड़ा हो सकता है। हालांकि अपने शांत स्वभाव से आप सबकुछ ठीक कर देंगे। दोस्तों और परिवार के साथ मज़ेदार समय बीतेगा। पेशेवर तौर पर अपने अच्छे काम की पहचान आपको मिल सकती है। आज आप फुर्सत के क्षणों में कोई नया काम करने का सोचेंगे लेकिन इस काम में आप इतना उलझ सकते हैं कि आपके जरुरी काम भी छूट जाएंगे । आज अपने जीवनसाथी का वह रुख़ देखने को मिलेगा, जो उतना अच्छा नहीं है।
कर्क- (ही हू हे हो डा डी डू डे डो)
आज आपके अतीत के ग़लत फ़ैसले मानसिक अशान्ति और क्लेश की वजह बनेंगे। आप ख़ुद को अकेला पाएंगे और सही-ग़लत का निर्णय करने में असमर्थ महसूस करेंगे। दूसरों की सलाह लें। आज आपको अपने भाई या बहन की मदद से धन लाभ होने की संभावना है। परिवार वालों का हँसी-मज़ाक भरा बर्ताव घर के वातावरण को हल्का-फुल्का और ख़ुशनुमा बना देगा। अपने प्रिय को नज़रअंदाज़ करना घर पर तनाव का कारण बन सकता है। पेशेवर तौर पर अपने अच्छे काम की पहचान आपको मिल सकती है। यदि आपको व्यस्त दिनचर्या के बाद भी अपने लिए समय मिल पा रहा है तो आपको इस समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए। ऐसा करके अपने भविष्य को आप सुधार सकते हैं। शादीशुदा ज़िन्दगी के नज़रिए से यह थोड़ा मुश्किल वक़्त है।
सिंह- (मा मी मू मे मो टा टी टू टे)
आज एक भागमभाग भरे दिन के बावजूद आपकी सेहत पूरी तरह दुरुस्त रहेगी। पुराने निवेशों के चलते आय में बढ़ोत्तरी नज़र आ रही है। अपने परिवार की भलाई के लिए मेहनत करें। आपके कामों के पीछे प्यार और दूरदृष्टि की भावना होनी चाहिए, न कि लालच। अपना बायोडाटा भेजने या किसी इंटरव्यू में जाने के लिए अच्छा समय है। आपके घर वाले आज आपसे कई परेशानियां शेयर करेंगे लेकिन आप अपनी ही धुन में मस्त रहेंगे और खाली समय में कुछ ऐसा करेंगे जो करना आपको पसंद है।
कन्या- (टो प पी पू ष ण ठ पे पो)
आज एक भागमभाग भरे दिन के बावजूद आपकी सेहत पूरी तरह दुरुस्त रहेगी। आकस्मिक मुनाफ़े के ज़रिए आर्थिक हालात सुदृढ़ होंगे। लोगों के साथ ठीक तरह से पेश आएँ, ख़ास तौर पर उनके साथ जो आपसे प्यार करते हैं और आपका ख़याल रखते हैं। अपने साथी को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल करने से बचें। कार्यक्षेत्र में किसी विशेष व्यक्ति से आपकी मुलाक़ात हो सकती है। परोपकार और सामाजिक कार्य आज आपको आकर्षित करेंगे। अगर आप ऐसे अच्छे कामों में थोड़ा समय लगाएँ, तो काफ़ी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आज अपने जीवनसाथी को समझने में आपसे ग़लती हो सकती है, जिसकी वजह से सारा दिन उदासी में गुज़रेगा।
तुला- (रा री रू रे रो ता ती तू ते)
आज आप ख़ुद अपना इलाज करने से बचें, क्योंकि दवाई पर आपकी निर्भरता बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। अपने ख़र्चों पर क़ाबू रखें और आज हाथ खोलकर व्यय करने से बचें। पुराने परिचितों से मिलने-जुलने और पुराने रिश्तों को फिर से तरोताज़ा करने के लिए अच्छा दिन है। अगर आप ख़ुद को पेशेवराना अन्दाज़ में औरों के सामने रखेंगे, तो कैरियर में बदलाव के नज़रिये से यह लाभदायक साबित हो सकता है। अगर आप अपनी चीज़ों का ध्यान नहीं रखेंगे, तो उनके खोने या चोरी होने की संभावना है। अपने जीवनसाथी की नुक़्ताचीनी से आप आज परेशान हो सकते हैं, लेकिन वह आपके लिए कुछ बढ़िया भी करने वाला है।
वृश्चिक- (तो ना नी नू ने नो या यी यू)
आज आप अपने वज़न पर नज़र रखें और ज़रूरत से ज़्यादा खाने से बचें। आज के दिन आप धन से जुड़ी समस्या के कारण परेशान रह सकते हैं। इसके लिए आपको अपने किसी विश्वास पात्र से सलाह लेनी चाहिए। जिन्हें आप चाहते हैं, उनके साथ उपहारों का लेन-देन करने के लिए अच्छा दिन है। योग्य कर्मियों को पदोन्नति या आर्थिक मुनाफ़ा हो सकता है। लोगों के साथ बात करने में आज आप अपना बहुमूल्य समय बर्बाद कर सकते हैं। आपको ऐसा करने से बचना चाहिए।
धनु-ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे)
आज अपने बच्चे का प्रदर्शन आपको बहुत ख़ुशी देगा। अगर आपने अपने घर के किसी सदस्य से उधार लिया था तो उसे आज लौटा दें नहीं तो वो आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकता है। अपने परिवार को पर्याप्त समय दें। उन्हें महसूस होने दें कि आप उनका ख़याल रखते हैं। उनके साथ अच्छा वक़्त बिताएँ और शिकायत करने का मौक़ा न दें। अगर आप अपने प्रेमी के साथ कहीं बाहर घूमने जा रहे हैं तो कपड़े सोच-समझकर पहनें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो आपका प्रेमी आपसे नाराज हो सकता है। कार्यक्षेत्र में समझ-बूझ के उठाए गए आपके क़दम फलदायी होंगे। इससे आपको समय पर योजनाएँ पूरी करने में मदद मिलेगी। साथ ही नई परियोजनाएँ शुरू
करने के लिए सही समय है। कार्यक्षेत्र में किसी काम के अटकने की वजह से आज आपका शाम का कीमती वक्त खराब हो सकता है।
मकर- (भो जा जी खी खू खे खो गा गी)
आज आप शराब से दूर रहें, क्योंकि इससे आपकी नींद में खलल पड़ेगा और आप गहरे आराम से महरूम रह सकते हैं। आप पैसा बना सकते हैं, बशर्ते आप अपनी जमा-पूंजी पारम्परिक तौर पर निवेश करें। आपका ज्ञान और हास-परिहास आपके चारों ओर लोगों को प्रभावित करेगा। आज दूसरे आपसे काफ़ी ज़्यादा समय की मांग कर सकते हैं उनसे किसी भी तरह का वादा करने से पहले यह देख लें कि आपका काम उससे प्रभावित न हो और साथ ही वे आपकी उदारता और सुहृदयता का ग़लत फ़ायदा न उठाएँ। पैसा, प्यार, परिवार से दूर होकर आज आप आनंद की तलाश में किसी आध्यात्मिक गुरु से मिलने जा सकते हैं।
कुंभ- (गू गे गो सा सी सू से सो द)
आज स्वास्थ्य के लिहाज़ से बहुत अच्छा दिन है। आपकी ख़ुशमिज़ाजी ही आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करेगी। अचानक आए ख़र्चे आर्थिक बोझ बढ़ा सकते हैं। मुश्किल दौर में आपकी जिन रिश्तेदारों ने मदद की है, उनके लिए अपनी कृतज्ञता को व्यक्त करें। आपका यह छोटा-सा काम उनके उत्साह को बढ़ाएगा। कृतज्ञता जीवन की सुगंध को फैलाती है और अहसान-फ़रामोशी इसे तार-तार कर देती है। दूसरों को ख़ुशियाँ देकर और पुरानी ग़लतियों को भुलाकर आप जीवन को सार्थक बनाएंगे। अपना बायोडाटा भेजने या किसी इंटरव्यू में जाने के लिए अच्छा समय है। कोई पुराना दोस्त अपने साथ आपके जीवनसाथी के पुराने यादगार क़िस्से लेकर आ सकता है।
मीन- (दी दू थ झ ञ दे दो च ची)
आज आपका ग़ुस्सा राई का पहाड़ बना सकता है, जो आपके परिवार को नाराज़ कर सकता है। वे लोग ख़ुशक़िस्मत हैं जो अपने ग़ुस्से पर क़ाबू रख सकते हैं। इससे पहले कि आपका ग़ुस्सा आपको ख़त्म करे, आप उसे ख़त्म कर दें। निवेश करना कई बार आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है आज आपको यह बात समझ में आ सकती है क्योंकि किसी पुराने निवेश से आज आपको मुनाफा हो सकता है। अपने परिवार को पर्याप्त समय दें। उन्हें महसूस होने दें कि आप उनका ख़याल रखते हैं। उनके साथ अच्छा वक़्त बिताएँ और शिकायत करने का मौक़ा न दें। विवाह-प्रस्ताव के लिए सही समय है, क्योंकि आपका प्यार जीवन भर के साथ में बदल सकता है। आपके बॉस किसी भी बहाने में दिलचस्पी नहीं ज़ाहिर करेंगे- इसलिए निगाहों में बने रहने के लिए अपना काम अच्छी तरह से करें। वक्त पर चलने के साथ-साथ अपनों को वक्त देना भी आवश्यक है। यह बात आज आप समझेंगे लेकिन इसके बावजूद भी आप अपने घरवालों को पर्याप्त समय नहीं दे पाएंगे।
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*✴️संकलन एवं प्रस्तुत कर्त्ता✴️*
* दुर्गा प्रसाद मिश्र मिश्रपुर कोराव प्रयागराज उत्तर प्रदेश*
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