पिता से अपमानित होने पर सती ने किया था देह का त्याग यमुनापार कार्यालय कोरांव प्रयागराज कोरांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी बाघराय मैं आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन पिता के अपमान से आक्रोशित सती के देह त्याग का विस्तार से वर्णन करते हुए कथावाचक प्रभात मिश्र महाराज ने बताया कि दक्ष द्वारा यज्ञ के आयोजन मैं शिव तथा पार्वती जी को निमंत्रण नहीं दिया गया था शिवजी के मना करने के बावजूद पार्वती पिता के यज्ञ में भाग लेने के लिए पहुंची यज्ञशाला में भगवान शिव का कोई भाग ना देख कर पार्वती जी क्रोधित हो गई और उन्होंने अग्नि का आह्वान कर अपने शरीर का त्याग कर दिया भगवान शिव को नारद जी ने पूरी कथा सुनाई तो शिवजी क्रोधित हो गए उन्होंने अपनी जटाओं एक बाल छोड़कर धरती पर पटक दिया जिससे वीरभद्र प्रकट हुए कथावाचक प्रभात मिश्र ने कहा कि कोई भी यज्ञ सर्वजन सुखाय के भाव से ही सफल होता है ध्रुव कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है ध्रुव ने 5 वर्ष की उम्र में ही तपस्या कर भगवान को प्राप्त किया था भरत चरित्र और अजामिल उपाख्यान की कथा का वर्णन किया गया मुख्य यजमान आजाद बहादुर सिंह आचार्य पंकज शुक्ला राकेश शुक्ला पुष्पेंद्र सिंह संदीप सिंह प्रदीप अतुल आदि लोग मौजूद रहे
पिता से अपमानित होने पर सती ने किया था देह का त्याग
कोरांव प्रयागराज कोरांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव सेमरी बाघराय मैं आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन पिता के अपमान से आक्रोशित सती के देह त्याग का विस्तार से वर्णन करते हुए कथावाचक प्रभात मिश्र महाराज ने बताया कि दक्ष द्वारा यज्ञ के आयोजन मैं शिव तथा पार्वती जी को निमंत्रण नहीं दिया गया था शिवजी के मना करने के बावजूद पार्वती पिता के यज्ञ में भाग लेने के लिए पहुंची यज्ञशाला में भगवान शिव का कोई भाग ना देख कर पार्वती जी क्रोधित हो गई और उन्होंने अग्नि का आह्वान कर अपने शरीर का त्याग कर दिया भगवान शिव को नारद जी ने पूरी कथा सुनाई तो शिवजी क्रोधित हो गए उन्होंने अपनी जटाओं एक बाल छोड़कर धरती पर पटक दिया जिससे वीरभद्र प्रकट हुए कथावाचक प्रभात मिश्र ने कहा कि कोई भी यज्ञ सर्वजन सुखाय के भाव से ही सफल होता है ध्रुव कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है ध्रुव ने 5 वर्ष की उम्र में ही तपस्या कर भगवान को प्राप्त किया था भरत चरित्र और अजामिल उपाख्यान की कथा का वर्णन किया गया मुख्य यजमान आजाद बहादुर सिंह आचार्य पंकज शुक्ला राकेश शुक्ला पुष्पेंद्र सिंह संदीप सिंह प्रदीप अतुल आदि लोग मौजूद रहे