प्रयागराज

प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय नैनी प्रयागराज प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में मस्कट से आए हुए आर्किटेक्ट इंजीनियर एवं

प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय नैनी प्रयागराज प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में मस्कट से आए हुए आर्किटेक्ट इंजीनियर एवं प्रोफेसर टेकू वासवानी का प्रोफेसर राजकुमार गुप्ता सम्मानित किया। प्रोफेसर टेकू वासवानी आज प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के छात्रों एवं शोध विद्यार्थियोंसाथ संवाद किया। उनका मानना है कि भारतीय आर्ट एंड आर्किटेक्ट प्राचीन काल की अपनी एक विलक्षण कला थी । आजकल भारतीय नगरों महानगरों और शहरों के शहरीकरण जिसे आज हम अर्बन गैलेक्सी कहते हैं। और मानव जीवन के जीवन शैली पर इसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है विश्व के अनेक विद्वानों ने यह माना है कि आज नगरीकरण का सस्टेनेबल डेवलपमेंट यानी सतत विकास आवश्यक है ऐसा ना हो कि बढ़ती हुई नगरीकरण मनुष्य के जैविक किए प्राकृतिक एवं अन्य संसाधनों का दोहन उसके जीवन शक्ति के चिंता का आधार न बन सके । इसीलिए प्राचीन भारतीय निर्माण शैली तथा स्थानीय निर्मल शैली को उन्होंने दीर्घकालिक एवं विकासशील तथा सतत विकास का चरम उत्कर्ष बताया।मनुष्य को दीर्घकालिक या सस्टेनेबल या सतत विकास में सहायता प्रदान कर सकती है। उनका मानना था कि शेरों के अध्ययन से ही ज्ञात होता है कि नियोजन मात्र भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक और संस्कृत प्रकृति का भी परिचायक है जो संसाधनों की उपलब्धता पर आधारित है भारत के विभिन्न भागों और शहरों का सुबह में यह अध्ययन से पता चलता है कि स्थानीय लोगों की क्षेत्र विशेष से जुड़ी हुई विशिष्ट जीवन शैली और कौशल विकसित हो जाते हैं ऐसे में स्थानीय लोग का कौशल तभी विकसित कर पाते हैं जब व्यवस्था का विकेंद्रीकरण और मानवीय ऊर्जा का अपने संसाधनों और मूल्यों के साथ स्थानीय संदर्भ में अवसर मिलते हैं जिसकी प्रतिबिंब माता आज के आर्गेनाइजेशन में नहीं दिखाई पड़ रही है बल्कि वह ब्रूटस कल पर आधारित होती जा रही है यहां संस्कृतऔर आध्यात्मिक उन्नयन का तात्पर्य उन्होंने माना की बिल्डिंग हम बड़े-बड़े से बड़े बनते जाएं परंतु आज नैतिक मूल्यों का जो हनन हो रहा है कहीं न कहीं हमारे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रगति में भौतिकता उपभोगवाद और बाजारवाद अधिक प्रभावित होती जा रही है। डॉ प्रशांत सिंह ने टीकू वासवानी कर के प्रारंभिक और अध्ययन कल का परिचय दिया इसके साथ ही साथ विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर राजकुमार गुप्त ने वासवानी सरकार सम्मान किया तथा उनका विश्वविद्यालय में पुनः आगमन के लिए और व्याख्यान देने के लिए आभार प्रकट किया।