यदि अजय सम्राट विश्वविद्यालय का वैध छात्र नहीं तो कुलपति महोदया भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वैध कुलपति नहीं*…. *क्योंकि अजय सम्राट का प्रवेश और कुलपति महोदया के नियुक्ति का मामला माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित

यदि अजय सम्राट विश्वविद्यालय का वैध छात्र नहीं तो कुलपति महोदया भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वैध कुलपति नहीं*…. *क्योंकि अजय सम्राट का प्रवेश और कुलपति महोदया के नियुक्ति का मामला माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित
यह सर्वे विदित है कि शहीद लाल पदमधर युवा शक्ति के त्रिकाल आदरणीय मानक हैं उनका आदर करना उनका माल्यार्पण करना हर छात्र और छात्र नेता की अभिलाषा होती है 105 दिनों के तानाशाही कैद काटने के बाद आजादी के प्रतीक शहीद लाल पदमधर को माल्यार्पण करने जब हम इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन पहुंचे तो छात्र छात्राओं के विशाल समूह ने छात्रसंघ भवन के दरवाजे को खोल दिया उल्लेखनीय है कि किसी ने कोई ताला नहीं तोड़ा और शहीद लाल पदमधर को माल्यार्पण करने के उपरांत हम लोग वापस विश्वविद्यालय परिसर से वापस आ गए हैं यह आश्चर्यजनक है कि बड़े गेट के खुल जाने के बाद किस प्रकार कक्षाओं में जा रहे छात्रों की कक्षाएं बाधित हो गई जबकि छात्रसंघ भवन का गेट बंद होने से छात्र छात्राओं को आवागवन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है विश्वविद्यालय में दो और गेट पहले से ही खुले हुए थे यह समझ के बाहर आ रहा है कि गेट खुल जाने से राजकीय कार्य में बाधा कैसे उत्पन्न हो गई? जब समस्त छात्र-छात्राएं स्वागत के लिए उपस्थित थे तो भय का वातावरण कहां और कैसे व्याप्त हो गया?
एफआईआर में यह लिखा हुआ है कि अजय सम्राट इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र नहीं जबकि अजय सम्राट के दाखिले का मामला माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित है ठीक उसी तरह जिस तरह कुलपति महोदया की नियुक्ति का मामला इसी उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित है यदि अजय सम्राट का इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश अवैध है तो माननीय कुलपति महोदया की भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश वैध नहीं हो सकता क्योंकि संविधान की धारा अनुच्छेद 14 के अनुसार कानून के समक्ष सभी बराबर हैं
इस एफआईआर के दायर होने पर छात्रों की आपातकाल सभा आयोजित की गई जिसमें आगे की संघर्ष की नीतियां तय की गई