प्रयागराज

श्रीमद् भागवत कथा का छठा दिन-भगवान के साथ सच्ची प्रीत से ही ज्ञान प्रकट होता है: शिव शंकर मिश्र महाराज

प्रयागराज सह संपादक दुर्गा मिश्रा की रिपोर्ट

प्रयागराज कोराव  बेलवनिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास श्री शिवशंकर मिश्र महाराज की अमृतमयी वाणी में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस को शिव शंकर मिश्र महाराज ने कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती है. जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि है. महारास शरीर नहीं अपितु आत्मा का विषय है. जब हम प्रभु को अपना सर्वस्व सौंप देते हैं तो जीवन में रास घटित होता है. महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया लेकिन जब गोपियों की भांति भक्ति के प्रति अहंकार आ जाता है तो प्रभु ओझल हो जाते है. उसके पश्चात गोपियों ने एक गीत गया जिसे “गोपी गीत” कहा जाता है.
उसके माध्यम से उनके ह्रदय की पीड़ा को देखकर भगवान कृष्ण प्रकट हो गए और रास घटित हुआ. महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ. जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है. उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है. उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं ,जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है ,वह भव पार हो जाता है. उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है. श्रीमद् भागवत कथा के पावन अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिए शिव शंकर मिश्र महाराज एवं अन्य विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का रसपान कराया गया, जिसमें कथा के मुख्य यजमान एवं अन्य भक्तजन भी सम्मिलित रहे.